इतने तो गुनाह भी ना थे मेरे जितने मिटा रहा हूँ, अपने दामन को हर दाग से बचा रहा हूँ, अब सिफ़ारिश और कसमें नही लेता किसी से, सबसे बस एक रिश्ता निभा रहा हूँ, ना उम्मीद है उनसे ना कोई मज़बूरी है, सब अपने है पर सबसे बहुत दूरी है, अब बचा कर सबसे ख़ुदको ही हँसा रहा हूँ, पुराने धागों से एक गाँठो की माला बना रहा हूँ।। सुना है रिश्ते धागों से होते है, टूट जाये तो गाँठो से जुड़ते है, उन गाँठो को अब मैं बनावट बता रहा हूँ, सब टूटने के बाद भी मैं ख़ुदको पिघला रहा हूँ।। ख़ुदको बना रहा हूँ।। #munasif_e_mirza #munasif_life #life #yqbaba #yqlife #sanchal #lifelessons