एक ख़त लिखूँ उसके नाम जो कभी पढ़ता नहीं मेरे मन की बात उसके लिए लिख रखूँ मैं हर वो बात जो वो सुनता नहीं लिख डालूँ हर वो बात बेबात मेरे दिन और रात जीवन की कदम ताल सांसों की बारात एक एक पल की बात लिखूँ उस चाँद की बात देखता है जो हमे अलग अलग हर रात लिखूं कैसे उस बिन आई रोज़ सुबह और कैसे हर घड़ी आई मुझे उसकी याद लिख दूँ उसे सब दिळ की बात कैसे गुज़रे उसके बिन ये दिन और साल जो सुनता नही अब मेरे क़दमों की थाप #गुफ़्तगू ©rukmani chaurasia