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एक लड़की थी मासूम सी, नादान सी। सभी पर एक सा ऐतबार

एक लड़की थी मासूम सी, नादान सी।
सभी पर एक सा ऐतबार कर लेती थी।
हर एक को अपने जैसा ही समझ बैठती थी।
इतनी हस्सास मिजाज़ के बात बात पर रो देती,
छोटी छोटी बातें दिल से लगा लेती और,
घंटों,पहरों उन्हीं बातों में खोई रहती।

फिर वक्त के साथ जाने कैसे उसकी वो मासूमियत खो गई।
वो लड़की जो हस्सास मिजाज थी, बहोत सख्त दिल हो गई।
वो जो महज किसी के रूठ जाने पर घंटों बेचैन रहा करती थी,
किसी दूसरे की उलझन में भी खुद को उलझाए रखा करती थी,
अब भले ही रिश्ते टूट जाए, उसे फर्क नहीं पड़ता,
कोई आए, कोई जाए उसे फर्क नहीं पड़ता।
लोग अब उसे मतलबी, खुदगर्ज, सेलफिश कहकर पुकारते है,
मगर उसकी वो मासूमियत कैसे खो गई, वो ये नहीं जानते है।

वो लड़की जब दिल की साफ थी तो 
उसका दिल जी भर के दुखाया गया,
फरेब,चालबाजी और, सख्त अल्फाजों से,
उसे इस हाल तक लाया गया। 
एक नहीं दो नहीं बल्कि कई चोटों के बाद भी,
वो अपने उसी वजूद में बनी रही,
मगर बार बार कि चोटों ने उसे बिखेर  दिया,
और इस तरह उसे इतना सख्त बनाया गया।
एक दिन वो लड़की मिली मुझे, मैंने पूछा उससे,
के ऐसा क्या हुआ, के तुम एकदम से बदल गई,
वो लड़की पहले तो खामोश रही, फिर बोली,
के बदली नहीं हूं बस संभल गई।। #वोलड़की 


एक लड़की थी मासूम सी, नादान सी।
सभी पर एक सा ऐतबार कर लेती थी।
हर एक को अपने जैसा ही समझ बैठती थी।
इतनी हस्सास मिजाज़ थी के बात बात पर रो देती,
छोटी छोटी बातें दिल से लगा लेती और,
एक लड़की थी मासूम सी, नादान सी।
सभी पर एक सा ऐतबार कर लेती थी।
हर एक को अपने जैसा ही समझ बैठती थी।
इतनी हस्सास मिजाज़ के बात बात पर रो देती,
छोटी छोटी बातें दिल से लगा लेती और,
घंटों,पहरों उन्हीं बातों में खोई रहती।

फिर वक्त के साथ जाने कैसे उसकी वो मासूमियत खो गई।
वो लड़की जो हस्सास मिजाज थी, बहोत सख्त दिल हो गई।
वो जो महज किसी के रूठ जाने पर घंटों बेचैन रहा करती थी,
किसी दूसरे की उलझन में भी खुद को उलझाए रखा करती थी,
अब भले ही रिश्ते टूट जाए, उसे फर्क नहीं पड़ता,
कोई आए, कोई जाए उसे फर्क नहीं पड़ता।
लोग अब उसे मतलबी, खुदगर्ज, सेलफिश कहकर पुकारते है,
मगर उसकी वो मासूमियत कैसे खो गई, वो ये नहीं जानते है।

वो लड़की जब दिल की साफ थी तो 
उसका दिल जी भर के दुखाया गया,
फरेब,चालबाजी और, सख्त अल्फाजों से,
उसे इस हाल तक लाया गया। 
एक नहीं दो नहीं बल्कि कई चोटों के बाद भी,
वो अपने उसी वजूद में बनी रही,
मगर बार बार कि चोटों ने उसे बिखेर  दिया,
और इस तरह उसे इतना सख्त बनाया गया।
एक दिन वो लड़की मिली मुझे, मैंने पूछा उससे,
के ऐसा क्या हुआ, के तुम एकदम से बदल गई,
वो लड़की पहले तो खामोश रही, फिर बोली,
के बदली नहीं हूं बस संभल गई।। #वोलड़की 


एक लड़की थी मासूम सी, नादान सी।
सभी पर एक सा ऐतबार कर लेती थी।
हर एक को अपने जैसा ही समझ बैठती थी।
इतनी हस्सास मिजाज़ थी के बात बात पर रो देती,
छोटी छोटी बातें दिल से लगा लेती और,
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AS Sabreen

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