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असीर ना होने पाऊँ अपने ही ख़यालों की मैं हर पल मुस्

असीर ना होने पाऊँ अपने ही ख़यालों की मैं
हर पल मुस्कुराऊँ मात मिले या शह
आगे बढ़ना है मुझे उन्मुक्त विचारों से साथ
सीखते सिखाते हुए ही बीते जीवन के सारे लम्हात

©Nirupa Kumari
  #thought 
#उन्मुक्त_विचार
#Poetry_month