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मैं हादसो से लडा हूँ,होने को तजुरबा होता रहा है.

मैं हादसो से लडा हूँ,होने को तजुरबा होता रहा है. 

आईना चूर चूर हुआ,चेहरा खोने को अपना अक्श खोता रहा है. 
नींदे सुलगती थी ऑखो में तमाम रात करवटो में बसर होती थी 
सुबह जागते थे उसनींदे,सोने को तमाम रात सोता रहा हूँ! अनकहीं.
मैं हादसो से लडा हूँ,होने को तजुरबा होता रहा है. 

आईना चूर चूर हुआ,चेहरा खोने को अपना अक्श खोता रहा है. 
नींदे सुलगती थी ऑखो में तमाम रात करवटो में बसर होती थी 
सुबह जागते थे उसनींदे,सोने को तमाम रात सोता रहा हूँ! अनकहीं.
romanjain4709

Roman Jain

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