मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। गाँव में होत बाटे देखऽ अब दुर्गतिया। शहर में चमकत बाटे बिजुली के बतिया। होतही साँझ घारवा हो जाता आन्हार। मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। हमहूँ जानिलाँ बाबू शहरिया के बतिया। डी एम कलेक्टर बाने हमरो संघतिया। गऊँवो में अब लउकत बाटे बिजुली के तार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। शहरे में बाटे भईया सब सुख के साधानावा। खुश होइ जाइ तहरो देखि के मानावा। छोड़ि के सब चलऽ आपन घर- बार। मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। अपनो तऽ बाटे बाबू बड़ी खेती-बरिया। कइसे सब छोड़िके जइबऽ बोलऽ शहरिया। माई बाप होइ जइहें अपनो लाचार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। नाहीं छुटि पइहें भईया बाप महतरिया। भलहीं छुटि जाव ई सपना शहरिया। मिटे नाहीं देइब हम आपन संसकार। मानि हम गइनी अब बतिया तोहार। #भोजपुरी #गाँवशहर #विश्वासी मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। गाँव में होत बाटे देखऽ अब दुर्गतिया। शहर में चमकत बाटे बिजुली के बतिया। होतही साँझ घारवा हो जाता आन्हार। मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार।