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सूखे गालों वाला भी एक नकाब बनाऊं क्या? सख्त दिखने

सूखे गालों वाला भी एक नकाब बनाऊं क्या?
सख्त दिखने के लिए पत्थर का शीशा लगाऊं क्या?

मैं तो ना जाने कब से खुद से ही लड़ झगड़ रहा हूं,
अब खुद से सुलह के लिए भी वकील बुलाऊं क्या?

सुना है कयामत पर लोग शेर लिखा करते है,
तुम्हारे नूर पर भी एक ग़ज़ल सुनाऊं क्या?

गली का चांद तो बेरुखी से बात करता है मुझसे,
अब दरिया वाले को भी बहता छोड़ आऊं क्या?

जब खुदा को सुननी ही नहीं है आयतें मेरी,
सजदे में सर फोड़ू और टीले से चिल्लाऊं क्या?

जब सब आसमान की चादर में ही छिप गए,
तो मैं भी ज़मीन ओढ़ कर सो जाऊं क्या?

©Nishant #Vasant2022

#firstpost
सूखे गालों वाला भी एक नकाब बनाऊं क्या?
सख्त दिखने के लिए पत्थर का शीशा लगाऊं क्या?

मैं तो ना जाने कब से खुद से ही लड़ झगड़ रहा हूं,
अब खुद से सुलह के लिए भी वकील बुलाऊं क्या?

सुना है कयामत पर लोग शेर लिखा करते है,
तुम्हारे नूर पर भी एक ग़ज़ल सुनाऊं क्या?

गली का चांद तो बेरुखी से बात करता है मुझसे,
अब दरिया वाले को भी बहता छोड़ आऊं क्या?

जब खुदा को सुननी ही नहीं है आयतें मेरी,
सजदे में सर फोड़ू और टीले से चिल्लाऊं क्या?

जब सब आसमान की चादर में ही छिप गए,
तो मैं भी ज़मीन ओढ़ कर सो जाऊं क्या?

©Nishant #Vasant2022

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