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खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रुर एक ही

खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रुर
एक ही निवाला सही पर खाऊंगा ज़रुर
आखिर कब तक आंसुओं से पेट भरता रहूंगा
ऐसे कब तक तुझे याद करता रहूंगा
उस दिन सबके सर पर सेहरे देखूंगा मैं
पूरी रात रुकर सातों फेरे देखूंगा मैं
वो सात वचन जब लोगी तुम
ईश्वर की कसम जब लोगी तुम
तुम्हारी आंखों में शर्म देखनी है मुझे
उस आग की लपटे भी चीख उठे अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे
उस दिन के बाद हर रात में नाचूंगा मैं जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचूंगा मैं
कोई पूछेगा रुखस्ती के वक्त तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों नहीं
मैं कह दूंगा मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूं क्यों नहीं
karan

©Raj Kumar Allahabadi खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी

#Books
खैर अपनी शादी का बुलावा देना मैं आऊंगा ज़रुर
एक ही निवाला सही पर खाऊंगा ज़रुर
आखिर कब तक आंसुओं से पेट भरता रहूंगा
ऐसे कब तक तुझे याद करता रहूंगा
उस दिन सबके सर पर सेहरे देखूंगा मैं
पूरी रात रुकर सातों फेरे देखूंगा मैं
वो सात वचन जब लोगी तुम
ईश्वर की कसम जब लोगी तुम
तुम्हारी आंखों में शर्म देखनी है मुझे
उस आग की लपटे भी चीख उठे अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे
उस दिन के बाद हर रात में नाचूंगा मैं जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचूंगा मैं
कोई पूछेगा रुखस्ती के वक्त तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों नहीं
मैं कह दूंगा मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूं क्यों नहीं
karan

©Raj Kumar Allahabadi खुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी

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