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अब तो आदत सी लग चुकी है हमें खुशियों में शांत रेहन

अब तो आदत सी लग चुकी है हमें
खुशियों में शांत रेहने की और गम में मुस्कुराने की, 
खुद को ऐसे ही तैयार किया है हमनें। 
ना कीए हुए गुनाहों की सजा भुकती है हमनें।
अपनों की ख्वाहिशें ना पुरी होने पर उनके नजर में खुद को गिरते देखा है हमनें।
हालात के सामने बेबस हो कर अपनों को दम तोडते देखा है हमनें। 
पर... 
हर हालात में प्रयास करना और मुस्कुराना नहीं छोड़ा हमनें।  खुद को ऐसे ही तैयार किया है हमनें।
अब तो आदत सी लग चुकी है हमें
खुशियों में शांत रेहने की और गम में मुस्कुराने की, 
खुद को ऐसे ही तैयार किया है हमनें। 
ना कीए हुए गुनाहों की सजा भुकती है हमनें।
अपनों की ख्वाहिशें ना पुरी होने पर उनके नजर में खुद को गिरते देखा है हमनें।
हालात के सामने बेबस हो कर अपनों को दम तोडते देखा है हमनें। 
पर... 
हर हालात में प्रयास करना और मुस्कुराना नहीं छोड़ा हमनें।  खुद को ऐसे ही तैयार किया है हमनें।