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एक चाय की चुस्की के संग कई लम्हे पिरो लेती हूँ....

एक चाय की चुस्की के संग कई लम्हे पिरो लेती हूँ....
बेसक मैं कोई लेखिका नही , पर लिख लेती हूँ।
कई हसीन लम्हे बिताये है मैंने इन सीटों पर ....
चलो इन्ही पर सिर रखकर एक बार रो लेती हूँ।
मेरे एहसास धुंए की तरह गुम से गये है,,,
एक बार फिर यादो की बारिशो में भीग आते  हैं।।
उनकी आंखों को मैने गौर से देखा नही है,,,
उनकी बातों की तारीफ ,बेहिसाब करते हैं।
शायद मेरे  लब्ज़ जनवरी (नये)हो गए हैं..
मगर मेरे कलम आज भी दिसम्बर (बीती बाते)लिखते हैं...
                   श्रेयशी..... #yaadeKCCki महज़ यादे ही रह जाते हैं..
एक चाय की चुस्की के संग कई लम्हे पिरो लेती हूँ....
बेसक मैं कोई लेखिका नही , पर लिख लेती हूँ।
कई हसीन लम्हे बिताये है मैंने इन सीटों पर ....
चलो इन्ही पर सिर रखकर एक बार रो लेती हूँ।
मेरे एहसास धुंए की तरह गुम से गये है,,,
एक बार फिर यादो की बारिशो में भीग आते  हैं।।
उनकी आंखों को मैने गौर से देखा नही है,,,
उनकी बातों की तारीफ ,बेहिसाब करते हैं।
शायद मेरे  लब्ज़ जनवरी (नये)हो गए हैं..
मगर मेरे कलम आज भी दिसम्बर (बीती बाते)लिखते हैं...
                   श्रेयशी..... #yaadeKCCki महज़ यादे ही रह जाते हैं..