वर्षों से थी मैं नेह सपने सजाई, कर रही हूं मैं आज स्नातक का तर्पण, जाने कितने रातों के बाद ये रात आई है। मेरा सब कुछ है बस तुमको ही अर्पण। पिया मिलन को हूं अब तो व्याकुल मैं, मर्यादित रेखा को आज पार कर दो तुम, आज तो सुहाग रात की रात आई है।। मेरी सांसे और रूह है तुमको समर्पण।। तोड़ दो अपने कौमार्य का आज व्रत तुम, ये रात भी छोटी पड़ जाय साजन, कर लो प्रियतम तुम मुझको स्वीकार। अपने प्रेम से आज तुम मेरा श्रृंगार करो। बेसुध होती जा रही हूं तेरे विरह मे, रूह भी मेरा कम्पित हो जाए प्रियवर, अपनी प्रेमिका का आज करो साक्षात्कार।। कुछ ऐसा तुम ख़ुद से मेरा अंगीकार करो।। मेरे धड़कनों पर लिखा नाम तुम्हारा हो, मेरे नवयौवन पर निर्मल स्पर्श तुम्हारा हो। नेह मांग रही है बस तुमसे यही दुहाई, अंधेरी रात में प्रेम आलिंगन मिलन हमारा हो।। #NUB Gupt@#