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मुसलसल तप रहा था कभी इश्क़ में, कभी धूप में, कभी सर

मुसलसल तप रहा था कभी इश्क़ में, कभी धूप में,
कभी सरहद के इस पार से उस पार के बीच में।
जो खोल कर रख देता अपने किरदार की कड़ियाँ,
कहीं लफ़्ज़ों के अंजुमन में, 
के जैसे पतझड़ की पीर कोई शज़र कह रहा हो......

रूबरू होकर भी कहीं ग़ुम वो जादुई शख्स, कौन था..?
वो इक मुक्कमल मगर कहीं अधूरी दास्ताँ, जॉन था...
 #jaunelia #जॉनएलिया #yqbhaijan #yqdidi #tribute
मुसलसल तप रहा था कभी इश्क़ में, कभी धूप में,
कभी सरहद के इस पार से उस पार के बीच में।
जो खोल कर रख देता अपने किरदार की कड़ियाँ,
कहीं लफ़्ज़ों के अंजुमन में, 
के जैसे पतझड़ की पीर कोई शज़र कह रहा हो......

रूबरू होकर भी कहीं ग़ुम वो जादुई शख्स, कौन था..?
वो इक मुक्कमल मगर कहीं अधूरी दास्ताँ, जॉन था...
 #jaunelia #जॉनएलिया #yqbhaijan #yqdidi #tribute