चाहत है कुछ कर जाने की चाह नही अब उन रहो की चाहत है कुछ कर जाने की नही चाह अब कुछ पाने की न चाहत है कुछ खोने की मुश्किल न है उन रहो की वक्त है अब अजमाने की नही चाह अब उन रहो की चाहत है कुछ कर जाने की नही खबर उनके आने की कितनी है वो अनजानी सी लगती है वो कली तना की खुशबू है वो बागवानी की लगी खबर मौसम आने की बदल दी खुशबु अपने तन की न लगी वक्त बारिस आने की न समय लगी मौसम जाने की चाह नही अब उन रहो की चाहत है कुछ कर जाने की महक उठी बगिया मौसम की चहुँ ओर है रंग उनकी लगती है वो परी जहाँ की है करिश्मा वो कुदरत की नही चाह अब उन रहो की चाहत है कुछ कर जाने की 😊 Prakash uikey #pk petory चाहत है कुछ कर जाने की