** सितमगर ** सितम पे सितम वो करते रहे, उफ किए बगैर हम सहते रहे। कभी तो इंतिहा होगी हम सोचते रहे, पर उसे वो अपनी जीत समझते रहे। पर ये क्या अब तो उनकी आदत बन गई है, उनको मजा आता है या नहीं क्या पता?पर मेरी तो आफत बन गई है। ये आफत किसी दिन मेरी जान ले लेगी, तब भी यकीन हैं दोष हमारी ही होगी। ऐ खुदा रहम, कर कुछ ऐसा इंतजाम, लाठी भी न टूटे और साँप का हो काम तमाम। #सितमगर #