मुसाफिर "मुसाफिर" हूँ मै,बडा दूर जाना हैं नजदीक से देखता हूँ अगर, सब लगता बेगाना है भीड है शिद्दत सी,पागल सा नजराना है खोज रहा हूँ उसे मै,जिसे मुझे पाना है पागल सा नजराना है,पागल सा नजराना है "मुसाफिर" हूँ मै,बडा दूर जाना है आया हूँ दूर से,जाना भी दूर वो किस गली मे है,जिसे मै खोजे हुआ मजबूर दुनिया देवे गाली,उसे सुना भरपूर आगे देंखू-पीछे देंखू ,देंखू उपर नीचे वह बैठी किस डाल,जो मेरा हाथ पकड कर खीचें खोज लूं उसे मै जल्दी से,नही तो मुझे यहीं भटकर रह जाना है "मुसाफिर" हूँ मै, बडा दूर जाना है........ लक