साथ जो है ही नहीं उस कि निगहबानी है उनको लगता है मेरा प्यार बस कहानी है मेरी बातें हैं समंदर में एक लहर जैसी किसी की इक निगाह भी जहां निशानी है तुमको फुर्सत ए राह का महज सहारा है साथ होकर भी मेरे साथ में नहीं हो तुम साथ होकर भी अलग राह पर नजर है क्यों साथ होते हो जो लगता है वह नहीं हो तुम तुम्हारे लफ्ज़ बोलते हैं दर्द कितना है तुम्हारी बात बोलती है खुश नहीं हो तुम