आज एक बात लिखता हू ; जो आज तक तूजसे मैने कही नही ।। कूछ और देखा ही नही ये नीगाहे थमी सी रेह गई तेरे चेहरे पर ; अब यूं तेरा नजरे चूराना सही नही ।। तेरा मीलना एक कूबूल हो चूकी दूआ जैसा था ; फीर तेरा यूं अचानक से मूजसे बीछ्ड़ना सही नही ।। अरे कोई नही मूकम्मल इस जहां मे सनम ; तू ही बता कौन है जीसमे कमीं नही !! ये आसमान भी तो अकेला है बावजूद इतनी खूबसूरती के ; इस के पास भी तो जमीं नही ।। ।।सनम ; यूं तेरा मूजसे बीछ्ड़ना सही नही ।। ।।सनम।। ये सही नही !!! ✍📖