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नज़रों की ज़ुल्मत में मेरी, ये किसका अक्स है। है

नज़रों की ज़ुल्मत में मेरी,
ये किसका अक्स है। 
है कौन वो?
जिसने इतने जुल्म ढाए, लाज़िम है गैर नहीं,
कोई अपना शख्स है।
                         -रूद्र प्रताप सिंह

(Plz Refer To Caption For Meaning) ज़ुल्मत*: अंधेरा
अक्स*: परछाइ
नज़रों की ज़ुल्मत में मेरी,
ये किसका अक्स है। 
है कौन वो?
जिसने इतने जुल्म ढाए, लाज़िम है गैर नहीं,
कोई अपना शख्स है।
                         -रूद्र प्रताप सिंह

(Plz Refer To Caption For Meaning) ज़ुल्मत*: अंधेरा
अक्स*: परछाइ