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बिरह अगन में जले अंग तन में अगन लगाये। जन्म जन्म

बिरह अगन में जले अंग तन में अगन लगाये। 
जन्म जन्म की मैं प्यासी मेरी प्यास कौन बुझाये, 
गम के कढ़वे घूँट पीऊँ अश्कों का खारा पानी, 
प्रेम का मधुर शीतल जल सखी कौन पिलाये।
दूर बसो किस देश पिया कैसे तुम तक आऊँ
नगर तेरे की डगर न जानू कैसे तुझ तक आये। 
पिया हमारे आओ अब इस बेसुध की सुध लो 
तुम न सुनो अर्जी हमारी तो तो किसे जा सुनायें। 
गुरू के देश जाओ तुम प्यारी वे भेदी इस मार्ग के 
अमृत नाम-पान कर जन्मों की प्यास बुझ जाए। 
पल पल छिन छिन कर सुमिरन भजन वंदगी
नाम जहाज में असवार कर तोहि तेरे देश पहुँचाए।


 बिरह
बिरह अगन में जले अंग तन में अगन लगाये। 
जन्म जन्म की मैं प्यासी मेरी प्यास कौन बुझाये, 
गम के कढ़वे घूँट पीऊँ अश्कों का खारा पानी, 
प्रेम का मधुर शीतल जल सखी कौन पिलाये।
दूर बसो किस देश पिया कैसे तुम तक आऊँ
नगर तेरे की डगर न जानू कैसे तुझ तक आये। 
पिया हमारे आओ अब इस बेसुध की सुध लो 
तुम न सुनो अर्जी हमारी तो तो किसे जा सुनायें। 
गुरू के देश जाओ तुम प्यारी वे भेदी इस मार्ग के 
अमृत नाम-पान कर जन्मों की प्यास बुझ जाए। 
पल पल छिन छिन कर सुमिरन भजन वंदगी
नाम जहाज में असवार कर तोहि तेरे देश पहुँचाए।


 बिरह
ckjohny5867

CK JOHNY

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बिरह