मेरी आंखों में मेरे सपने तैरने लगे । दिमाग की बत्ती जली तो समझ आया , जिस ट्रैन का देरी से चलना ,लग रहा था किस्मत का साथ देना असल मे वो था कुदरत का परीक्षा लेना मेरे सामने दो रास्ते थे -पहला रास्ता मेरे सपनों की ओर जाता था । और दूसरा रास्ता अनजान था जिसमे बस उसका साथ था मैं थोड़ा घबड़ाया ,थोड़ा हिचकिचाया तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी और मेरी आँखों के सामने वो नाम था जिसका सपना ही मेरे सपनों का पूरा होना था निर्णय लिया पहले रास्ते को पकड़ा ,दूसरे रास्ते को छोड़ा और कहा अगर ये किस्मत का साथ देना था तो हम फिर मिलेंगे उसने हाथ थामा और कहा हमे भी इंतज़ार रहेगा बस इतनी सी थी ये कहानी।। -Hariom Suryawanshi ट्रैन वाला प्यार part-3#part1#part2#part3#completed#nojoto