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तुम तो मेरी सहगामिनी हो, जन्मों-जन्मों की अर्धां


तुम तो मेरी सहगामिनी हो, 
जन्मों-जन्मों की अर्धांगिनी हो
तुम कंचन काया हो, 
जैसे राम ने सीता को पाया हो
निर्मल गंगा की पावन धारा हो, 
गुलशन का श्रृंगार हो
तुम हिरणी सी नैनों वाली, 
प्यार की मूरत साकार हो
परन्तु तुम तो जा रही हो, 
मिलन के स्वप्न दिखा रही हो
इस निराशा के क्षण में, 
आशा के फूल खिला रही ही
जल्दी हीं मिलेंगे हम दोनों, 
अगले बसंत बहार में
अब तुम हीं बताओ ये कैसी 
अधूरी प्रेम कहानी है
मिलन है, जुदाई है, 
साथ जीने-मरने की कसम खाई है
तुम मेरी पहली और आखिरी ख्वाहिश हो

©Nitu Singh जज़्बातदिलके
  #ramsita 
तुम तो मेरी सहगामिनी हो, 
जन्मों-जन्मों की अर्धांगिनी हो
तुम कंचन काया हो, 
जैसे राम ने सीता को पाया हो
निर्मल गंगा की पावन धारा हो, 
गुलशन का श्रृंगार हो
तुम हिरणी सी नैनों वाली,

ramsita तुम तो मेरी सहगामिनी हो, जन्मों-जन्मों की अर्धांगिनी हो तुम कंचन काया हो, जैसे राम ने सीता को पाया हो निर्मल गंगा की पावन धारा हो, गुलशन का श्रृंगार हो तुम हिरणी सी नैनों वाली,

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