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यहीं बैठ कर वो लिखा करता था उस पर कवितायें एक दिन

यहीं बैठ कर वो लिखा करता था
उस पर कवितायें
एक दिन गया शहर
सबको प्यार की नज़्में सुनाने
ख़बर कोई नहीं, 
कब फिर लौटे, आए यहाँ पर !
रस्ते बीरान हैं,
चौक सूने हैं,
नज़्म एक अकेली,  
जुस्तजू में उसकी 
निकली है शहर में !

©HintsOfHeart.
  #नज्म_एक_अकेली