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आया था।तेरे शहर की उन गलियों में।

आया था।तेरे शहर की उन गलियों में।
                 जहां अक्सर हमारी मुलाकाते होती थी।

बेखबर बेअंजान था। तेरे शहर के रास्तों से।
फिर भी आया था।तेरे शहर, मिलो दूर  से।
ढूंढा था । तुझे तेरे शहर की उन बेनाम गलियों में।
जहां पहली दफा तुझसे मुलाकात हुयी थी।
पर अफसोस! ना तू मिला , ना कोई तुमसा।
आया था ।तेरे शहर की उन गलियों में।...२

कभी तो दस्तक दी होगी।  तेरे घर की दहलीज पर
कभी तो खटखटाया होगा ।तेरे घर का दरवाजा।
और कभी तो देखा होगा तूने तेरे घर के आंगन में 
 पर अफ़सोस!
 तूने तो देख कर भी नजरंदाजकर दिया ।
मुसाफिर जो ठहरा था । में
             
   वा रे खुदा ।तेरी तोहीन करू, या तारीफ,
    तूने मिलाया भी ऐसा की मिल नहीं पाया।                       अपनी मंजिल के हमसफर से।
 जिसकी तलाश में मिलो दूर से  आया था। में

   फिर लोट आया अपने उम्मीदों के शहर ।

©Vikash Choudhary ♥️आया था। तेरे शहर की गलियों में..♥️
#nojoto❤ #nojoto2021 #Like  #poem #writing #vikashchoudhary_9983
#नोजोटो #Nojoto  #like4like 

#Moon
आया था।तेरे शहर की उन गलियों में।
                 जहां अक्सर हमारी मुलाकाते होती थी।

बेखबर बेअंजान था। तेरे शहर के रास्तों से।
फिर भी आया था।तेरे शहर, मिलो दूर  से।
ढूंढा था । तुझे तेरे शहर की उन बेनाम गलियों में।
जहां पहली दफा तुझसे मुलाकात हुयी थी।
पर अफसोस! ना तू मिला , ना कोई तुमसा।
आया था ।तेरे शहर की उन गलियों में।...२

कभी तो दस्तक दी होगी।  तेरे घर की दहलीज पर
कभी तो खटखटाया होगा ।तेरे घर का दरवाजा।
और कभी तो देखा होगा तूने तेरे घर के आंगन में 
 पर अफ़सोस!
 तूने तो देख कर भी नजरंदाजकर दिया ।
मुसाफिर जो ठहरा था । में
             
   वा रे खुदा ।तेरी तोहीन करू, या तारीफ,
    तूने मिलाया भी ऐसा की मिल नहीं पाया।                       अपनी मंजिल के हमसफर से।
 जिसकी तलाश में मिलो दूर से  आया था। में

   फिर लोट आया अपने उम्मीदों के शहर ।

©Vikash Choudhary ♥️आया था। तेरे शहर की गलियों में..♥️
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