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**बाबासाहेब पुनः तिथि** युगों का दीपक जला गए,

**बाबासाहेब पुनः तिथि**  

युगों का दीपक जला गए,  
ज्ञान की मशाल थमा गए।  
अंधकार को जिसने हराया,  
वो अम्बेडकर कहलाया।  

सामाजिक बंधन तोड़ दिए,  
न्याय की राहें मोड़ दिए।  
हर शोषित को अधिकार दिया,  
समता का उपहार दिया।  

कष्ट सहा पर रुके नहीं,  
हर चुनौती से झुके नहीं।  
संविधान के रचयिता बने,  
भारत के सच्चे नेता बने।  

तुमने हमें जीना सिखाया,  
संघर्ष का अर्थ बताया।  
हर दिल में प्रेरणा बनकर,  
बसते हो बाबा अम्बेडकर।  

आज पुनः तिथि पर तुम्हें नमन,  
करें तुम्हारे सपनों का सृजन।  
जहाँ समता, ज्ञान की ज्योति हो,  
ऐसा भारत हर कहीं प्रकट हो।

©Writer Mamta Ambedkar  mamta ambedkar writer
**बाबासाहेब पुनः तिथि**  

युगों का दीपक जला गए,  
ज्ञान की मशाल थमा गए।  
अंधकार को जिसने हराया,  
वो अम्बेडकर कहलाया।  

सामाजिक बंधन तोड़ दिए,  
न्याय की राहें मोड़ दिए।  
हर शोषित को अधिकार दिया,  
समता का उपहार दिया।  

कष्ट सहा पर रुके नहीं,  
हर चुनौती से झुके नहीं।  
संविधान के रचयिता बने,  
भारत के सच्चे नेता बने।  

तुमने हमें जीना सिखाया,  
संघर्ष का अर्थ बताया।  
हर दिल में प्रेरणा बनकर,  
बसते हो बाबा अम्बेडकर।  

आज पुनः तिथि पर तुम्हें नमन,  
करें तुम्हारे सपनों का सृजन।  
जहाँ समता, ज्ञान की ज्योति हो,  
ऐसा भारत हर कहीं प्रकट हो।

©Writer Mamta Ambedkar  mamta ambedkar writer