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हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हस

हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |

दिल किसी का टूटे या घर किसी का जल जाए, 
बेवफ़ा के दिल को ग़म देर तक नहीं रहता |

हो सके तो चाहत की चोट से बचे रहना, 
वर्ना ज़ख़्म पर मरहम देर तक नहीं रहता |

क्यों ग़ुरूर करते हो जा के तुम बुलंदी पर, 
शोहरतों का ये परचम देर तक नहीं रहता |

कौन जाने कब किस पर ज़िंदगी ठहर जाए |
कोई रुस्तम-ए-आज़म देर तक नहीं रहता ||

©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |
हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |

दिल किसी का टूटे या घर किसी का जल जाए, 
बेवफ़ा के दिल को ग़म देर तक नहीं रहता |

हो सके तो चाहत की चोट से बचे रहना, 
वर्ना ज़ख़्म पर मरहम देर तक नहीं रहता |

क्यों ग़ुरूर करते हो जा के तुम बुलंदी पर, 
शोहरतों का ये परचम देर तक नहीं रहता |

कौन जाने कब किस पर ज़िंदगी ठहर जाए |
कोई रुस्तम-ए-आज़म देर तक नहीं रहता ||

©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |