मोहब्बत के समुंदर के किनारे बहुत है, तुझे तैरने की जरूरत क्या है कश्ती बहुत है,, तू अभी से हार मान बैठा है मोहब्बत में, अभी तो तुझे जख्म खाने बहुत है,, अपनी मोहब्बत में भरोसे के चिराग जलाए हैं तूने, फिर ना जाने क्यों अंधेरे बहुत है,, वो तो तू एक चांद का दीवाना है, वरना आसमां में तारे बहुत है,, "पंडित नरेन्द्र द्विवेदी" #World_Forest_Day #शायरी Kishan Upadhyay (Kishu😍) अधूरी बातें jAhid 😍 8905605344