गमज़दा ए क्या हुआ मैं गमज़दा हो गया ! मेरा मुकद्दर हमसे जुदा हो गया !! लिखें थे फसाने....जो लहू से मैंने ! आज देखा तो वो भी सदा हो गया !! सादगी के दीवाने भी बहुत है ग़र ! कैसे सादगी पे भारी अदा हो गया !! एक तरफ़ रौशनी एक तरफ अँधेरा ! पूरी भीड़ रौशनी पे...फिदा हो गया !! इतनी हालात मेरी..हुई क्यों खराब ! दुश्मनों में सामिल.....खुदा हो गया !! ©S K Sachin #गमज़दा #मुकद्दर #Olympic2021