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मसरूफियत का आलम क्या कहें बिन काजल आंखें सुनी हैं

मसरूफियत का आलम क्या कहें
बिन काजल आंखें सुनी हैं 
कई दिन बीते
उलझी सी है लट
सुलझाई ही नहीं है
कई दिन बीते
आईना भी रूठा है
मुस्कुराता नहीं है देख मुझे
कई दिन बीते
एक सवाल सिर्फ उसकी निगाह का है
जो मुझ पर नहीं पड़ी है
कई दिन बीते

©तृप्ति #Masrufiyat
मसरूफियत का आलम क्या कहें
बिन काजल आंखें सुनी हैं 
कई दिन बीते
उलझी सी है लट
सुलझाई ही नहीं है
कई दिन बीते
आईना भी रूठा है
मुस्कुराता नहीं है देख मुझे
कई दिन बीते
एक सवाल सिर्फ उसकी निगाह का है
जो मुझ पर नहीं पड़ी है
कई दिन बीते

©तृप्ति #Masrufiyat