इक तस्वीर निकाली गठरी से, जिसमें पूरा परिवार दिखा। सबको चूमा बारी बारी, उनको अपना संसार दिखा। सीने से अपनें भींच लिया, ले के तस्वीर को गोद में फिर, हर दर्द सुड़क के खींच लिया। आँखों में नमीं झलक आयी, दिल से सबको आशीष दिया, जो पीर चीर के उमड़ी थी, उस पीर से आँखे सींच लिया। फिर से गठरी को टटोल रही.... बूढ़ी अम्मा......... #nojoto#poetry#बूढ़ीअम्मा.....