सोचता हूं ! सोचता हूं........रंग चुरा कर फिजाओं से अब अपनी किस्मत सजा लू । सन्नाटा कोई पसरा हुआ है दिल में कब से,हवा के राग से संगीत बना लू । संगीत बनाकर अब थोड़ा सा गुनगुना लू । कश्ती जिंदगी की सूखी नदियों में खड़ी है, दरिया बादलों का दे जो पानी,सागर बना लू । जुस्तजू सब.......जीने की.......रखकर एक किनारे आजाद कर दूजो से खुद को खुद से मिला लू । सोचता हूं........ रंग चुरा कर फिजाओं से अब अपनी किस्मत सजा लो नैनेश पटवा मेरी डायरी कुछ खट्टी कुछ मीठी #NOJOTO#POEM#MY EXPERIENCE#SAD LIFE#