*ईसाई नव वर्ष के परिप्रेक्ष्य मे मैं आपके समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ ।* *ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं* *है अपना ये त्यौहार नहीं* *है अपनी ये तो रीत नहीं* *है अपना ये व्यवहार नहीं* ©vicky sri Ramdhari singh dinkar #Dark