मैं इस ऊँचाई तक पहुँचा हूँ लाखों सीढियां चढ़कर 'ख़ुशी' तकदीर में आई हजारों 'दर्द' से लड़कर भला मैं क्यूँ चरण चूमूँ किसी सरकार के साहब मैंने पैसे कमाए भी अगर तो... 'शायरी' पढ़कर --प्रशान्त मिश्रा #"खुद्दारी"