बावली सी हो गयी हूँ तेरी चाहत में ए-सनम.. मेरी चाहतों को बस तू बावली न समझना। तू मेरी चाहतों में कुछ इस तरह बसा है.. के जैसे मेरी चाहतों में मेरा खुद बसा है। तू मेरा अक्स बन गया है.. जैसे कोई निशां है। तू मेरा वक़्त बन गया है.. मेरे वक़्त को मग़र तू लाज़मी न समझना।