इतने मग़रूर थे वो अपनी जिहादी में, की जान बचाने से बेहतर उन्हें लेना समझ में आये, दिलों को जोड़ने से बेहतर उन्हें तोड़ना समझ में आये, अरे परिंदों को भी तुझसे ज्यादा इल्म है जिहाद का अपने में लड़ने से बेहतर उसे उड़ना समझ में आये अपने में लड़ने से बेहतर उसे जीना समझ में आये, एक बार क़ुरान की आयतें तूने जो बस पढ़ भर ली होतीं तो जिहाद के नाम पर मासूम ज़िंदिगियां मिटटी में न मिलाई होतीं, न जाने कितनों के सुहाग तूने न उजाड़े होते, कितनी माँए तूने न रूलाई होतीं, कितनी किलकारियां तूने न छीनी होतीं, कितनी जिंदगियां तूने न उजाड़ी होतीं, वो मासूम लौटे तो, मगर तिरंगे में लिपटे , मरते दम तक जिनकी क़ुर्बानी पर हम सलाम हैं ठोकते , देखो उन्हें अपनाने आज सारे देशवासी भी हैं आये, और तुझे तो अपना कहने ,तेरे अपने भी आगे न आये, क्या जवाब देगा तू अपने उस खुदा को जिसके बन्दे को जान देने से बेहतर लेना समझ में आये , जिसे जीने से बेहतर मरना समझ में आये जब तक तू इस जिहाद के चिराग तले उसी के बन्दों को है मिटाये, तुझे तेरा परिवार तो क्या खुदा भी न अपनाये । #NojotoQuote कुछ चन्द शब्द उन क़ुर्बानो को