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द्रौपदी की व्यथा **************** द्रौपदी चाहती थी

द्रौपदी की व्यथा
****************
द्रौपदी चाहती थी अर्जुन को दिल से पांचों पांडवों में से अर्जुन को ज्यादा से ज्यादा थी दिल की लगी,
सुभद्रा भी थी  प्रेम दीवानी धनुषधारी अर्जुन की,
किससे सुन अर्जुन की धर्नुविद्या के, मन ही मन प्यार से हर्षाने लगी।

व्याकुलता से सुभद्रा बेताब थी, खबर पाते ही बन साधु आए हैं वो बगीया में वो,
मिलने चली आई,मन की बेताबी को रोकना पाई वो।

अर्जुन के साथ विवाह से पहले, सुभद्रा को द्रौपदी से स्वीकृति लेनी थी,
सुभद्रा ने द्रौपदी से मुलाकात और अपनी पहचान द्रौपदी कहीं,
द्रौपदी के मन में श्रीकृष्ण जी के लिए बहुत श्रद्धा थी।

द्रौपदी ने सुभद्रा को तुरंत गले लगा लिया,
अच्छी दोस्ती होने पर, सुभद्रा ने अर्जुन के प्रति,अपने प्रेम को जाहिर कर दिया। 
पहले तो द्रौपदी स्तब्ध रह गई ,फिर महसूस किया कि अर्जुन की खुशी‌ को,
और अर्जुन और सुभद्रा के विवाह को स्वीकृति देखकर आशीर्वाद दिया। द्रौपदी की व्यथा
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द्रौपदी चाहती थी अर्जुन को दिल से पांचों पांडवों में से अर्जुन को ज्यादा से ज्यादा थी दिल की लगी,
सुभद्रा भी थी  प्रेम दीवानी धनुषधारी अर्जुन की,
किससे सुन अर्जुन की धर्नुविद्या के, मन ही मन प्यार से हर्षाने लगी।

व्याकुलता से सुभद्रा बेताब थी, खबर पाते ही बन साधु आए हैं वो बगीया में वो,
मिलने चली आई,मन की बेताबी को रोकना पाई वो।
द्रौपदी की व्यथा
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द्रौपदी चाहती थी अर्जुन को दिल से पांचों पांडवों में से अर्जुन को ज्यादा से ज्यादा थी दिल की लगी,
सुभद्रा भी थी  प्रेम दीवानी धनुषधारी अर्जुन की,
किससे सुन अर्जुन की धर्नुविद्या के, मन ही मन प्यार से हर्षाने लगी।

व्याकुलता से सुभद्रा बेताब थी, खबर पाते ही बन साधु आए हैं वो बगीया में वो,
मिलने चली आई,मन की बेताबी को रोकना पाई वो।

अर्जुन के साथ विवाह से पहले, सुभद्रा को द्रौपदी से स्वीकृति लेनी थी,
सुभद्रा ने द्रौपदी से मुलाकात और अपनी पहचान द्रौपदी कहीं,
द्रौपदी के मन में श्रीकृष्ण जी के लिए बहुत श्रद्धा थी।

द्रौपदी ने सुभद्रा को तुरंत गले लगा लिया,
अच्छी दोस्ती होने पर, सुभद्रा ने अर्जुन के प्रति,अपने प्रेम को जाहिर कर दिया। 
पहले तो द्रौपदी स्तब्ध रह गई ,फिर महसूस किया कि अर्जुन की खुशी‌ को,
और अर्जुन और सुभद्रा के विवाह को स्वीकृति देखकर आशीर्वाद दिया। द्रौपदी की व्यथा
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द्रौपदी चाहती थी अर्जुन को दिल से पांचों पांडवों में से अर्जुन को ज्यादा से ज्यादा थी दिल की लगी,
सुभद्रा भी थी  प्रेम दीवानी धनुषधारी अर्जुन की,
किससे सुन अर्जुन की धर्नुविद्या के, मन ही मन प्यार से हर्षाने लगी।

व्याकुलता से सुभद्रा बेताब थी, खबर पाते ही बन साधु आए हैं वो बगीया में वो,
मिलने चली आई,मन की बेताबी को रोकना पाई वो।
mrsrosysumbriade8729

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