सुनो... मत बनना मेरी राह के सागर तुम बहने देना स्वतन्त्र धरा पर मुझको तुम समा तुम में अस्तित्व खोना नहीं मुझको दूर ही से बस मेरी आँखों की तृप्ति बनना तुम जब देखना चाहूँ तुमको बंद आँखों से चुपके से नयनों में आ बसना तुम लगे तुम्हें मैं तन्हा हूँ तुम्हारी सोच में बेचैन हूँ वहीं से मीठी लोरी गा मेरे चित्त को शांत करना तुम दिन के कुछ पलों में ही सही दूर से ही निहार लेना मुझको तुम डाल अपनी प्रेमभरी द्वष्टि मुझको वहीं से हर्षाना तुम हाँ मैं मन में हूँ तुम्हारे मुझको ऐसा एहसास कराना तुम पर नहीं बनना मेरी राह के सागर तुम स्वतंत्र छोड़ मुझे बस तुम्हारा ही रहने देना मुझको तुम...! 🌹 #mनिर्झरा 10/10/2020 Copyright protected ©️®️ #yqbesthindiquotes #bestyqhindiquotes #yqhindi #yqlove #love