इक हद होती है सहने की | इक हद होती है कहने की | कितना वो लहरा ले लेकिन, इक हद होती है बहने की | उससे ही तो घर है वरना, इक हद होती है रहने की | अब क्या दिल कटवा ही डालें, इक हद होती है चहने की | फिर भी वो है तेरा अपना , इक हद होती है दहने की | ©अम्बिका मिश्रा'प्रखर' #merighazal #Music