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अब महज़ खामोशियाँ हैं तेरे-मेरे दरम्यां हर्फ़ लौ पे

अब महज़ खामोशियाँ हैं तेरे-मेरे दरम्यां
हर्फ़ लौ पे जल उठेगा तेरा-मेरा आशियाँ
शुक्र है बरसा है मौसम टूटकर लचारियाँ
अबकी जो गरजेगा बादल गिर पड़ेंगी बिजलियाँ
चटख जाएगी ज़मीं दरक जाएगा आसमाँ #coinciding
अब महज़ खामोशियाँ हैं तेरे-मेरे दरम्यां
हर्फ़ लौ पे जल उठेगा तेरा-मेरा आशियाँ
शुक्र है बरसा है मौसम टूटकर लचारियाँ
अबकी जो गरजेगा बादल गिर पड़ेंगी बिजलियाँ
चटख जाएगी ज़मीं दरक जाएगा आसमाँ #coinciding