शब्दों का जाल लिए जज्बातों को क़ैद पे क़ैद कर रहा था वो। खुशरंग स्याह की चादर में कोरे कागज को लपेट रहा था वो। पढ़ने वाले कुछ समझें..लिखने वाला कुछ और लिख रहा था वो। सब खेल है अपने,अपनेपन का... हर रिश्ते में रंग भर रहा था वो। ~~शिवानन्द #रिश्ते #अपने #स्याह #कोराकाग़ज़ #शब्द #रातकाअफ़साना #yqbaba #yqdidi