White रात के बाद नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी हँसते हँसते कभी थक जाओ तो छुप के रो लो ये हँसी भीग के कुछ और चमक जाएगी जगमगाती हुई सड़कों पे अकेले न फिरो शाम आएगी किसी मोड़ पे डस जाएगी और कुछ देर यूँही जंग सियासत मज़हब और थक जाओ अभी नींद कहाँ आएगी मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे वक़्त बदला तो तिरी राय बदल जाएगी वक़्त नदियों को उछाले कि उड़ाए पर्बत उम्र का काम गुज़रना है गुज़र जाएगी ©Ashvani Kumar #Dosti din gujar jayega