खुद के जनाजे को ढोते हुए, उम्मीदों का कफ़न ढूंढने चले थे, दर्द को रोते,बिलखते,सहते हुए भी, एक मुस्कान के साथ हंसी ढूंढने चले थे। ना मालूम था,जिस कारवां के साथ, बेखबर चल रहे थे हम, वो इस कदर बिखर के रह जाएगा, कि हम भी छिप जाएंगे, किसी रेत के ढ़ेर में ,या किसी गहरे धुंध के साय में। ।।शुक्रिया।। ***बीना*** (04/08/2021) **************** ©BEENA TANTI #धुंध #निशब्द_कोलाहल