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दोहे.. तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग । आलस

दोहे..

तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग ।
आलस को तज कीजिये, अल्प सुबह उठ योग ।।

स्वस्थ रखें तन मन सदा, यही बड़ा धन धान ।
स्वस्थ नहीं हैं आप यदि, जीवन बोझ समान ।।

बता सभी को दीजिये, जीवन का यह सार ।

योग साधना से बने, जीवन का आधार ।।

*योग दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं*

*______अंजली श्रीवास्तव*

©Anjali Srivastav दोहे..

तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग ।
आलस को तज कीजिये, अल्प सुबह उठ योग ।।

स्वस्थ रखें तन मन सदा, यही बड़ा धन धान ।
स्वस्थ नहीं हैं आप यदि, जीवन बोझ समान ।।
दोहे..

तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग ।
आलस को तज कीजिये, अल्प सुबह उठ योग ।।

स्वस्थ रखें तन मन सदा, यही बड़ा धन धान ।
स्वस्थ नहीं हैं आप यदि, जीवन बोझ समान ।।

बता सभी को दीजिये, जीवन का यह सार ।

योग साधना से बने, जीवन का आधार ।।

*योग दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं*

*______अंजली श्रीवास्तव*

©Anjali Srivastav दोहे..

तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग ।
आलस को तज कीजिये, अल्प सुबह उठ योग ।।

स्वस्थ रखें तन मन सदा, यही बड़ा धन धान ।
स्वस्थ नहीं हैं आप यदि, जीवन बोझ समान ।।

दोहे.. तन मन में फुर्ती रहे, काया रहे निरोग । आलस को तज कीजिये, अल्प सुबह उठ योग ।। स्वस्थ रखें तन मन सदा, यही बड़ा धन धान । स्वस्थ नहीं हैं आप यदि, जीवन बोझ समान ।।