खुशियां तो थी दो पल की, दहन हो रहा रावण था.! जाने कहां से दांवव ट्रेन, बनकर मौत वो आई थी.! इंसानों की बलि चढ़ गई, लाशें बिछ गई पटरी पर.! हाहाकार मचा लोगों में, कटी पड़ी वहां लाशें थी.! मानवता भी कांप गई है, देख कर इतनी लाशों को.! खुशियां पल में गम में बदला, जाना किसने समय को.! #अजय57 #अमृतसर