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यह शब्द समुद्री बेड़े हैं, कागज की नाव नहीं हैं यह

यह शब्द समुद्री बेड़े हैं,
कागज की नाव नहीं हैं यह।
 लड़ सकते घोर सुनामी से,
हल्की पतवार नहीं हैं यह ।
ये पनडुब्बी हैंगे मनके,
अंतर में शोर मचा देंगे।
जो बींध गए तेरे दिल से, 
वैचारिक आग लगा देंगे।
 यह शब्द बिगुल हैंगे रण का,
यह तुम्हें चुनौती देते हैं।
कार्णों में अगर समा बैठे,
जीवन को ज्योति देतेहैं।
इसलिए इन्हें स्वीकार करो,
जकड़ो तुम हिय के पांसों में।
 जितना डूबोगे उतना उछलोगे,
भावों को मोती देते हैं।
कवि ज्ञानेश समुद्री बेड़े
यह शब्द समुद्री बेड़े हैं,
कागज की नाव नहीं हैं यह।
 लड़ सकते घोर सुनामी से,
हल्की पतवार नहीं हैं यह ।
ये पनडुब्बी हैंगे मनके,
अंतर में शोर मचा देंगे।
जो बींध गए तेरे दिल से, 
वैचारिक आग लगा देंगे।
 यह शब्द बिगुल हैंगे रण का,
यह तुम्हें चुनौती देते हैं।
कार्णों में अगर समा बैठे,
जीवन को ज्योति देतेहैं।
इसलिए इन्हें स्वीकार करो,
जकड़ो तुम हिय के पांसों में।
 जितना डूबोगे उतना उछलोगे,
भावों को मोती देते हैं।
कवि ज्ञानेश समुद्री बेड़े

समुद्री बेड़े #कविता