मुझसे टूट कर, मुझसे जुड़े रहना, तुम्हारा लहज़ा नहीं यूं, कशमकश में पड़े रहना, क्यू ताकती हो खिड़कियों से हर शाम एक अनजान शहर, अच्छा नहीं लगता, मेरे भावों में तुम्हारा यूं घिरे रहना इतना प्रेम था, गर,तो छोड़ गई ही क्यूं , निर्मल प्रेम चाहा तो बंधन तोड़ गई ही क्यूं , हर शाम तुम्हारे विचलन को देख रहा हूं अब, कई प्रेम गीत अपने रद्दी कर फेंक रहा हूं अब, सदानन्द कुमार ©Sadanand Kumar #hamarihindi #SeptemberCreator #unkakhat #nojothindi #nojotonews #Trending #hindi_shayari #Loneliness sakshi CHAUHAN