दुनिया की भी अजीब रीत है कल तक जो थी हमारी गुड़िया आज वो किसी दूसरे की मीत है एक घर को छोड़ नए घर जाना होता है पुराने रिश्तों को छोड़ नए रिश्ते सजाना होता है बहुत जल्द पराई कहलाती है ये दुख पड़े या मिला करे उसको सुख रिश्तों मे अपना किरदार बखूबी निभाती है ये सबसे शक्तिशाली एक औरत ही होती है बच्चपन के रिश्तों को पल भर मे खोती है अपनी इच्छाओं को पीछे रख घर मे हाथ बटाती है एक औरत ही हो सकती है इस दुनिया मे जो परिवार के खातिर जिंदगी भर संघर्ष कर जाती है – Vikas Gupta ©Vikas Gupta #Feminism