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उसके हाथ में मेरे हाथ थे, जैसे जिंदगी के हर मोड़



उसके हाथ में मेरे हाथ थे, जैसे जिंदगी के हर मोड़ पे साथ थे।

हम चलते रहे इसी राह पर, जीते जी सबकुछ हो गया अधूरा।

फिर एक दिन हमारे हाथ छूटे, उसने उसी वक़्त किसी और का हाथ पकड़ लिया।

उसकी आँखों में था अब उसका अरमान, मेरी आँखों से बह गए अब मेरे अश्क एक बार फिर से।

जब भी मेरी नज़र उस पर पड़ती है, उसके हाथ में मेरा हाथ फिर से महसूस होता है।

कभी-कभी याद आता है वो लम्हा, जब हमारे हाथों में थी पूरी दुनिया।

उसकी कलम से अब उसने कुछ नए शब्द लिखे होंगे, लेकिन मेरे हाथ की लकीर उसके हाथों से अब भी मिलती होंगी।

©Akhilesh
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