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ना कभी तु खुद को किसी से दूर करना ना कभी तेरे पास

ना कभी तु खुद को किसी से दूर करना ना कभी तेरे पास किसी को अब आने देना,
"नाज़" अब अगली बार किसी को हक ना देंना खुद को इतनी चोट पहुंचाने का।
इतनी चोट खाकर भी किसी शख्स से इतनी मोहब्बत कैसे हो सकती है,
कि तेरे मुंह से बद्दुआएं भी अब दुआएं बनकर निकल रही है उसके लिए।
अब दूर जाना तो इतना दूर जाना की तेरे लिए की उसकी कोई इबादत भी काम ना करे।

©✍Mehfuza✍
  #MoonShayari ना कभी तु खुद को किसी से दूर करना ना कभी तेरे पास किसी को अब आने देना,
"नाज़" अब अगली बार किसी को हक ना देंना खुद को इतनी चोट पहुंचाने का।
इतनी चोट खाकर भी किसी शख्स से इतनी मोहब्बत कैसे हो सकती है,
कि तेरे मुंह से बद्दुआएं भी अब दुआएं बनकर निकल रही है उसके लिए।
अब दूर जाना तो इतना दूर जाना की तेरे लिए की उसकी कोई इबादत भी काम ना करे।
mehfuza1498

Mehfuza

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#MoonShayari ना कभी तु खुद को किसी से दूर करना ना कभी तेरे पास किसी को अब आने देना, "नाज़" अब अगली बार किसी को हक ना देंना खुद को इतनी चोट पहुंचाने का। इतनी चोट खाकर भी किसी शख्स से इतनी मोहब्बत कैसे हो सकती है, कि तेरे मुंह से बद्दुआएं भी अब दुआएं बनकर निकल रही है उसके लिए। अब दूर जाना तो इतना दूर जाना की तेरे लिए की उसकी कोई इबादत भी काम ना करे। #Poetry

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