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धन का सुख, सुख नहीं मृगतृष्णा है, भुलावा है। अतः ध

धन का सुख, सुख नहीं मृगतृष्णा है, भुलावा है। अतः धन के प्रेम को भी साध्य नहीं कहा जा सकता। साध्य
धन का सुख, सुख नहीं मृगतृष्णा है, भुलावा है। अतः धन के प्रेम को भी साध्य नहीं कहा जा सकता। साध्य
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