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बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई। अब इंसानियत

बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई।
अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई।
संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे।
विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे।
कोयल बैठी मौन देखो काक सभा में बोल रहे।
आरक्षण में देखो इंसानों को जाति से तोल रहे।
इंसान बने हैवान देखो इंसानों को खाते जा रहे।
समाज में देखो बापू कैसे परिवर्तन आते जा रहे।
बापू तुमने देखा था सपना भारत हमेशा आजाद रहे।
तुमने देखा था सपना कि हर नगरिक आबाद रहे।
भारत के नगरिक देखो आबाद होकर आबाद नहीं।
देखो बापू भारत आज भी आजाद होकर आजाद नहीं।
लडाई करवाते फिरते इंसानों का कोई काम नहीं।
इंसान जानवर बन रहा इंसान का कहीं नाम नहीं।
यह पश्चात सभ्यता आती समाज के अनुकूल नहीं।
कौन कहता है इसमें इंसानों की कोई भूल नहीं।
संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे।
विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे।
बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई।
अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई। बापू
बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई।
अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई।
संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे।
विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे।
कोयल बैठी मौन देखो काक सभा में बोल रहे।
आरक्षण में देखो इंसानों को जाति से तोल रहे।
इंसान बने हैवान देखो इंसानों को खाते जा रहे।
समाज में देखो बापू कैसे परिवर्तन आते जा रहे।
बापू तुमने देखा था सपना भारत हमेशा आजाद रहे।
तुमने देखा था सपना कि हर नगरिक आबाद रहे।
भारत के नगरिक देखो आबाद होकर आबाद नहीं।
देखो बापू भारत आज भी आजाद होकर आजाद नहीं।
लडाई करवाते फिरते इंसानों का कोई काम नहीं।
इंसान जानवर बन रहा इंसान का कहीं नाम नहीं।
यह पश्चात सभ्यता आती समाज के अनुकूल नहीं।
कौन कहता है इसमें इंसानों की कोई भूल नहीं।
संसद में बैठे गीदड़ शेर बन कर धाड़ रहे।
विरोध करें आपस में चीख चीख गला फाड़ रहे।
बापू यह हमारे देश में कैसी आंधी आ गई।
अब इंसानियत खत्म हुई चारों तरफ दुर्दशा छा गई। बापू

बापू